|| तिलासंक्रान्ति ||
" भरल चगेंरी मुरही चुरा "
" भरल चगेंरी मुरही चुरा "
उठ - उठ बौआ रै निनियाँ तोर ।
अजुका पाबनि भोरे भोर ।।
पहिने जेकियो नहयबे आई ।
भेटतौ तिलबा रे मुरही लाइ ।। उठ....
ई पावनि छी मिथिलाक पावनि
सब पावनि सं बड़का छी ।
भरल चगेंरी मुरही चुरा
तिलवा लाई उपरका छी ।।
उपर देहिया थर - थर काँपय
भीतर मनुआँ भेल विभोर ।। उठ....
चहल पहल भरि मिथिला आँगन
अइ पावनि के अजब मिठाई ।
आई देत जे जतेक डुब्बी
भेटतै ततेक तिलबा लाई ।।
मुन्ना देखि भरय किलकारी
जहिना वन में कोइलिक शोर ।। उठ...
बुढ़िया दादी बजा पुरोहित
छपुआ साडी कयलक दान ।
तील चाऊर बाँटथि मिथिलानी
एहि पावनि केर अतेक विधान ।।
"रमण" खिचड़ी केर चारि यार संग
परसि रहल माँ पहिर पटोर ।। उठ......
गीतकार
रेवती रमण झा "रमण"
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