ओ उपर हम निच्चा रही
ओकर स्पर्शक बात की कही
केलक देहकेँ थौआ थौआ
के सखि साजन ?
ने सखि बौआ ।
जय मिथिला जय मैथिली
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सोमवार, 8 फ़रवरी 2016
कहमुकरी-1
कृष्ण कन्हैया
Bal kavita_231
कृष्ण कन्हैया
कृष्ण कन्हैया रास रचैया
माखन-मिश्री लाउ कने
खेल करै लए गोपी संगे
हमरो आंगन आउ कने
मारि गुलेंती फोरब मटकी
टोली अपन बनाउ कने
गाय चरेबै भोरे-साँझे
वंशी फेर बजाउ कने
ता थइ ता थइ नाच करब
ग्वाल-बाल संग आउ कने
पोखरिमे जा खूब नहाएब
छुट्टी सरसँ दिआउ कने