प्रेम दिवस पर देख रहल छी
चहुँदिसि प्रेम अछि पसरल
मिलि रहल सभ छथि प्रेमसॅ
हमहँू प्रेम दिवस पर मोनक बात कहने रही
ओ हँसिके स्वीकार केने छलीह
खुशी के ठेकाना नहिं छल प्रेमसॅ
एखन एहि बात के बस साल भरि भेल
कालिहे ओ हँसि क कहलीह
अहाँ के छोडि़ जा , रहल छी प्रेमसॅ
हम पुछलयिन्ह हमर की होयत ?
ओ कहलीह अहँू दोसर ताकि लिय
एहि प्रेमदिवस पर प्रेमसॅ
प्रेमक ई रुप देखि हम अवाक भ गेलौंह
मुँहसॅ किछु नहिं बहरायल
जे कहितियन्हि प्रेमसॅ
भाई प्रेमक बात जुनि करु
प्रेमक मारल आई धरि मरई छी
आब डर लागय अछि प्रेमसॅ
आशिक ’राज’
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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012
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